देहबुद्ध्या तु दासोsहं
दासोऽस्मि ते राघव देहदृष्ट्या।अंशोऽस्मि ते ईश्वर जीवदृष्ट्या।अहं त्वमेवेति च वस्तुतस्तु।सुनिश्चिता से मतिरित्थमस्ति॥(हनुमच्चरित्रवाटिका) हनुमान जी बोले- ‘हे प्रभो! मैं देह दृष्टि से आपका दास हूँ। हे ईश्वर! जीव दृष्टि से मैं आपका अंश हूँ। और वस्तुतः ‘मैं और आप एक ही हैं’ ऐसी ही मेरी निश्चित मति है॥ देहबुद्ध्या तु दासोऽहं जीवबुद्ध्या त्वदंशकः।आत्मबुद्ध्या त्वमेवाहमिति मे निश्चिता […]
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